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बच्चों की पॉटी ट्रेनिंग की शुरुआत करने के लिए उनकी उम्र के साथ-साथ उनकी तैयारी भी जरूरी होती है। आमतौर पर, बच्चे तीन से चार वर्ष की उम्र में पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार हो जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे तब तैयार नहीं होते हैं जब तक वे चार से पांच साल के नहीं हो जाते।
बच्चे की तैयारी के कुछ संकेत हो सकते हैं, जैसे कि उनकी डायपर से दाहिनी ओर से सामान्य ढंग से जरा-सा पॉटी का निकलना, पॉटी की आवाज या आदत से पहले पॉटी करने की नोटिस करना। इन संकेतों को देखते हुए आप बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग शुरू कर सकते हैं।
पॉटी ट्रेनिंग शुरू करने के लिए अच्छा समय वह होता है जब आप बच्चे को खुश और स्थिर महसूस कराते हैं, जैसे कि जब उन्हें खाने के बाद उन्हें पॉटी करने के लिए बैठाया जाता है। इसके अलावा, आपको धैर्य और उत्साह से बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग करनी चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ समय लग सकता है
पॉटी टाइम के संकेत: जब बच्चा पॉटी करने के लिए तैयार होता है, तो उसे पॉटी जैसी आवाज निकालते हुए, उनकी शारीरिक गतिविधियों में बदलाव और आंतों में एक अलग तरह की संवेदना होती है। जब आपके बच्चे को इन संकेतों का अनुभव होता है, तो आपको उन्हें पॉटी करने के लिए तैयार माना जाता है।
डायपर के बदलाव: जब आपका बच्चा डायपर उतारने के लिए उत्सुक हो जाता है तब आप उन्हें पॉटी करने के लिए तैयार मान सकते हैं।
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने के कई फायदे होते हैं, नीचे कुछ महत्वपूर्ण फायदे बताए गए हैं:
पॉटी ट्रेनिंग के बाद बच्चे को अपनी पॉटी के लिए आवश्यकता होने पर खुद ही शौचालय जा सकता है। इससे उन्हें खुद की जिम्मेदारी का एहसास होता है और स्वतंत्रता का अनुभव होता है।
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने से उन्हें एक स्वस्थ जीवनशैली की शुरुआत मिलती है। इससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और वे स्वच्छता के महत्व को समझने लगते हैं।
पॉटी ट्रेनिंग के बाद बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है। वे एक नया कौशल सीखने के लिए तैयार होते हैं और स्वयं को अधिक सक्षम महसूस करते हैं।
पॉटी ट्रेनिंग के बाद बच्चे को एक अच्छी आदत का संचार होता है। वे जीवन भर इस आदत को अपनाते रहते हैं।